Tuesday, 30 December 2014

PK पर हंगामा क्यों ? ....

मुझे ताज़्जुब होता कि फिल्म  PK को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं। मेरे Mphil में रिसर्च का विषय इसी विषय से सम्बंधित था। रिसर्च के आधार पर मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ कि फिल्म से सिर्फ कुछ संकीर्ण सोच वाले लोगों को या फिर कुछ छोटे-मोटे संगठनों को दिक्कत है। भारत के ज्यादातर लोगों को इससे कोई दिक्कत नहीं है वो फिल्म को एन्जॉय कर रहे हैं। उनके हिसाब से फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हंगामा खड़ा किया जाये। लोकतंत्र में क्या ये जायज है कि सिर्फ कुछ लोगों की सोच पुरे देश पर थोपा जाये। कुछ लोग इन मुद्दों पर अपनी राजनितिक रोटियां भी सेंकते है। अफ़सोस की सरकार भी इन छुटपुट लोगों के दवाब में आ जाती है और इनकी बातों को मान लिया जाता है, क्योंकि ये हंगामा मचाते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं। बाकी ज्यादातर लोग चुप रहते हैं इस कारण सरकार उनकी  नहीं सुनती। विडम्बना ये है अब योग गुरु बाबा रामदेव भी इसमें कूद पड़े है वो अभिनेता आमिर खान की गिरफ़्तारी तक की मांग कर चुके हैं लेकिन अब काले धन पर चुप हैं। काला धन अब उनके लिए बड़ा मुद्दा नहीं रहा।
इस फिल्म में हिन्दू धर्म के विरोध में कुछ नहीं दिखाया गया है, हाँ हिन्दू धर्म में व्यापत बुराइयों पर ज़रूर प्रकाश डाला गया है, इससे तो किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। ऐसा करके वो इन बुराइयों को दूर करना चाहते हैं ताकि हिन्दू धर्म पहले से ज्यादा अच्छा हो। अगर हंगामा मचाना हीं है तो ये छुटपुट लोग बेरोज़गारी, महगाई, शोषण जैसे मुद्दे पर क्यों नहीं मचाते ? क्या धर्म बचाने से लोग सुखी हो जायेंगें या गरीबी दूर हो जाएगी ? ठण्ड से कितने गरीब लोगों की मौत हो रही वो इन छुटपुट लोगों को नहीं दीखता ? हमारे समाज को सच सुनने और देखने की आदत डाल लेनी चाहिए।

गजेन्द्र कुमार