बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में.
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़................
Wednesday, 11 December 2013
दीप.................
वो मिलने नहीं आता है तो क्या तू लड़ने उसके घर पहुँच जा। ये इश्क है पगले...........जंगे-मैदान से कुछ कम नही तुम आओ तो गुनगुनी धुप साथ लेते आना मौसम से भी सर्द हमारा रिश्ता हो चला है।
अब जिंदगी की सांस उखड़ने लगी दुनिया की भागदौड़ में हांफने लगी।
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