Wednesday, 26 March 2014

बस यूँ हीं ...

               क्या खुद से दूर कर देगा वो मुझे ? बस इतनी देर का साथ था ? क्या वो सच में मेरा साथ छोड़ देगा ? क्या मेरे छोड़ने का दुख उसे नहीं होगा ?...कई सवाल हैं मेरे जेहन में हैं...और मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि वो मुझे चाहता है, पसंद करता है, प्यार करता है।  कहां जानता था मै उसको..बिल्कुल अंजान था मैं, पहली दफ़ा जब उससे मुलाकात हुई तो मै काफी सहमा और डरा हुआ था। मुझे लगता था हमारी बीच कभी दोस्ती नहीं हो पायेगी। दोनों बिल्कूल अलग थे, मेरी बोली अलग, भाषा अलग, रहन-सहन अलग, खान-पान अलग। शुरूआत में मै रोया भी करता था तब कोई आंसू पोछने वाला भी नहीं था। पर शायद वो कहीं लुक-छुप कर मुझे निहारा करता था। मेरा रोना इसे अच्छा नहीं लगा था शायद, या फिर मुझमें कुछ अच्छा लगा होगा उसे। तभी तो उसने मुझे धीरे-धीरे समझने की कोशिश की और जल्दी हीं हमारे बीच दोस्ती हो गई। हमारे बीच प्यार पनप बैठा। मै नहीं जानता था कि हमारी दोस्ती का साथ इतने लंबे समय तक रहेगा। मै एहसानमंद हूं इसका, इसने मुझे बहुत कुछ दिया है और सिखाया है। हर कदम पर साथ दिया है, जहां मै हार मान लेता था वहां हौसला दिया है। मै बहुत ही जज्बाती, मासूम और नादान था। इसने मुझे इन्हीं तीनों कमज़ोरियों को मेरा हथियार बनाना सिखाया। मुझे इसने कठिन से कठिन परिस्थितियों से लड़ना सिखाया, मुश्किल घड़ी में भी मुस्कुराना सिखाया। सही मायने में ज़िदगी क्या होती है और ज़िदगी कैसी जी जाती है, इसी ने सिखाया। मैं तो इस दोस्ती से आज़ाद होना चाहता था, इसे छोड़ना चाहता था, मैं वापिस जाना चाहता था। लेकिन इसने बार-बार मुझे अपनी ओर खींच लिया और मैं भी ना न कर सका। हमारे बीच एक ऐसा रिश्ता कायम हो गया जिसमें सिर्फ प्यार हीं प्यार था। विश्वास इतना की हमारे बीच शक कभी आने की हिम्मत भी नहीं करता। हमारे बीच प्यार जो इतना बढ़ गया था। इस प्यार में मै एक ग़लतफ़हमी भी पाल बैठा था कि हमदोनों का साथ कभी नहीं छुटेगा। एक बार पहले भी ज़माने ने हमें तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन इससे मेरी दूरी सही नहीं गयी और मुझे फिर से अपने पास बुला लिया। एकबार फिर हमें दूर करने की साज़िश हो रही है, क्या इस बार ये कामयाब हो जाऐंगे ? हमारे वर्षों का साथ अब टूट जाएगा ? मैनें बड़ी कोशिश की है साथ निभाने की पर नाकामयाब रहा। पर हार मानने वालों में से नहीं हूं मै, कोशिश करता रहूंगा। बस तू मेरा साथ मत छोड़ना.....

                                                       तुम्हारा गजेन्द्र कुमार

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