Wednesday, 26 March 2014

बस यूँ हीं ...

बिहार-पंजाब-दिल्ली-पंजाब-दिल्ली....
बंजारा बन चुकी है मेरी ये ज़िदगी
पता नहीं कहां-कहां जाना बाकी है अभी
दिल बार-बार टूट जाता है,
मत करना किसी शहर से कभी दिल्लगी।
                              गजेन्द्र कुमार 

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