Monday, 29 July 2013

ये जो पब्लिक है सब जानती है ....

ये जो पब्लिक है सब जानती है ....

 इस बात से मैं भी इतेफाक रखता हूँ कि ये जो पब्लिक है सब जानती है... पब्लिक से कुछ भी छुपा नहीं है...जैसे की कल-परसों ग्रेटर नोएडा की एसडीएम और आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल को उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने सस्पेंड कर दिया था। इसके पीछे सरकार धार्मिक सौहार्द को ख़तरे में डालने की वजह बता रही थी। अब पब्लिक यानी जनता अच्छी तरह जानती है की आईएएस अफसर के कड़े कदमों से सौहार्द ख़तरे में था या फिर यू.पी सरकार को खतरा था... हर ईमानदार अफसर को ऐसे ही कुछ न कुछ वजह बताकर या फंसाकर सरकार बाहर का रास्ता दिखाती है... सरकार को ऐसे अफसर चाहिए जो सरकार की हाँ में हाँ मिलाये और जनता की सेवा न करके सरकार की सेवा करे. जनता सब जानती है की अफसर को हटाने की वजह क्या है.... पब्लिक को सरकार के प्रति नाराज़गी जताने की जगह पब्लिक तो खुश होकर कहती है कि मैं तो जानता हीं था एक न एक दिन तो ऐसा होना ही था...ऐसी पब्लिक कुछ जाने या न जाने क्या फर्क पड़ता है...पब्लिक सब जानती है की कॊन नेता भ्रष्ट है और कोन नहीं ..फिर भी मजाल है की ईमानदार व्यक्ति को वोट करेंगें .....नेतागिरी आजकल वयवसाय बन गया है, जितना ज्यादा इन्वेस्टमेंट उतना ज्यादा फायदे का सौदा है नेतागिरी ...नेता आजकल सेवा करने के लिए नहीं सेवा लेने के लिए बन रहे हैं... पब्लिक ये भी जानती है कि  नेता हमारे सेवा करने के लिए बनते हैं फिर भी पब्लिक उनकी सेवा में लगी होती हैं. और तो और ज्यादातर पढ़े-लिखे अफसर भी नेताओं की भक्ति में ही लीन रहते हैं...ना जाने कैसे ये पढ़े-लिखे अफसर भी भ्रष्ट और अनपढ़ नेताओं की चापलूसी करना पसंद करते हैं ???  ना जाने कैसे इनका ईमान और ज़मीर इसकी इज़ाज़त देता है ????  और जो नेताओं की भक्ति नहीं करते उनका क्या हश्र होता है ? ये  पब्लिक अच्छी तरह जानती है... बेचारे ये अफसर कब से पुलिस सुधार की मांग कर रहे हैं ताकि ये नेताओं के हाथ की कठपुतली ना बने पर इनकी सुनता कोन है ....नेताओं के सामने ये बेचारे नज़र आतें हैं पर पब्लिक के सामने आते ही यही शेर बन जाते हैं.....बड़ी अजीब विडंबना है....मीडिया वाले चिल्लाते रहतें हैं ..ये पब्लिक है सब जानती हैं ये जो पब्लिक है ....ऐसे मरे हुए पब्लिक के जानने ना जानने से क्या फर्क पड़ता है ....मीडिया जी अगर आप चाहो तो मरे हुए पब्लिक को भी जगा सकते हो ...पर आप तो बस चिल्लना जानते हो ना, क्यूँ की  टी. आर. पी(TRP) भी तो इसी से बढती है ना ...मीडिया जी आप भी ना बस कहने के लिए आज़ाद हो ...है ना ??? अगर मैं गलत कह रहा हूँ तो ये भी चिल्ला-चिल्लाकर कहना, क्यूँ कि ये जो पब्लिक है सब जानती है .....

                                                                                                                          गजेन्द्र कुमार 

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