Thursday, 1 August 2013

हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है...



नेताजी हम कुछ नहीं बोलेगा...हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है ...हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ आप जैसे नेताओं के लिए है..नेताओं के सिवा अगर कोई और कुछ भी बोले तो आपलोगों को बड़ा दुःख होता है...लेखिका शोभा डे के ट्वीट " मुंबई को भी एक अलग राज्य बना देना चाहिए " से आप सभी माननीये राजनेताओं को बड़ी ठेस पहुंची...आप सभी नेतागण आगबबूले होकर शोभा डे पर तीखी टिपण्णी देनी शुरू कर दी... इसी तरह पिछले हफ्ते नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने जब कहा की प्यारे नरेन्द्र मोदी जी को मैं प्रधानमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहता तो भी हमारे सेवा के लिए तत्पर आप राजनेताओं को बड़ा दुःख हुआ...अमर्त्य सेन जी को तो आपने भारत छोड़ने तक की आपने सलाह दे डाली...प्यारे असीम त्रिवेदी भाई ने तो कुछ बोला भी नहीं था बल्कि चित्रकारी की थी इसकी वजह से उसे जेल भी जाना पड़ा...एक और चित्रकार स्वर्गीय एम एफ हुसैन साहब ने भी अपनी चित्रकारी दिखाई थी इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी...पूरी जिंदगी भारत में गुजारने के बाद जिंदगी के आखिरी लम्हों में उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा...मरने के बाद भी उन्हें अपने कर्मभूमि की मिट्टी तक नसीब नहीं हुई .... वही हमारे शुभचिंतक आप राजनेताओं को कुछ भी बोलने का अधिकार है...नरेन्द्र मोदी अगर इन्सान की तुलना कुत्ते से करते हैं तो उसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता, नेता अगर घोटाला करे तो आपको गलत नहीं दिखता.. बालठाकरे कुछ भी बोले तो भी गलत नहीं दिखता....राज ठाकरे जब उत्तरभारतीयों को लेकर अनाप-सनाप कुछ भी बोलता है तो भी आप नेताओ को कुछ भी गलत नहीं दिखता.. आप चुप-चाप मुह पर हाथ रखकर बैठे रहते हैं, पर अगर आम जनता कुछ भी बोले तो आपको असहनीय पीड़ा होती है और मीडिया के सामने आकर आम जनता के लिए बड़ी मीठी-मीठी भाषा के ज़रिये बड़े अच्छे-अच्छे सलाह देने लगते हैं, जो की हमारे और हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है ...ये हम मानते है की आपको बोलने की अच्छी कला आती हैं पर आप गलत करोगे तो हम चुप नहीं रहेगा..फिर हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है ...

                                                                                    गजेन्द्र कुमार 

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