हाँ मैं बेरोजगार हूँ , एक रोज़गार ढूंढ़ता हूँ. रोज़गार ढूँढना हीं मेरा रोज़गार बन गया है. मेरे पास अच्छी-अच्छी डिग्री है, बड़ी संभाल के रखता हूँ डिग्री के इन कागजों को, इतना ख्याल अपना भी नहीं रखता. आखिर इसी से तो मेरी जिंदगी का आकलन कुर्सी पर बैठे कुछ लोग करेंगे कि मैंने किया क्या है अब तक...पहले जो बड़ा होनहार लड़का कहा करते थे वो अब मुझे धरती का बोझ समझते हैं...बड़ी चिढ होती है अब होनहार शब्द से .. बड़ी उम्मीद के साथ जाता हूँ हर एक इंटरव्यू में पर बात नहीं बनती... बड़ी घबराहट होती थी शुरुआत में जब इंटरव्यू देने जाता था...अब बड़े आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू देने जाता हूँ जैसे की मुझे पता है कि क्या होने वाला है .. ये इंटरव्यू लेने वाले भी न अजीब होते हैं, कहते हैं आपके पास फील्ड एक्सपीरियंस नहीं है. अब इनकों यही समझ में नहीं आता कि आप मौका हीं नहीं दोगे तो एक्सपीरियंस कहाँ से आएगा.... इंटरव्यू के लिए मेरे जैसे कई होनहार लोग आते हैं, उनसे बात होती है तो पूछने लगते हैं कि आपकी कोई सिफारिश है ??...सुना है सिफारिशें बहुत चलती है आजकल ...आजकल सिफारिश वालों की जुगाड़ में हूँ पर कोई मिलता ही नहीं,,, काश मेरे परिवार में भी कोई नेता होता, नेताओं की सिफारिश बड़ी कारगर होती है...नेताओं को देखकर सोचता हूँ, ये नेता भी तो बेरोजगार हीं होते हैं जबरदस्ती दूसरों की सेवा करना अपना रोज़गार बना लेते हैं..इसके लिए किसी डिग्री की भी ज़रूरत नहीं होती, फालतू का टाइम बेस्ट किया पढाई में, अगर इतनी मेहनत इस फील्ड में की होती तो आज लोगों की सिफारिश मैं करता...पर मैं तो बेरोजगार हूँ मेरी कोई नहीं सुनता ...मेरी आँखें झुक जाती है जब कोई पूछता है क्या करते हो...बस धीरे से कहकर चल देता हूँ कि रोज़गार ढूंढ़ता हूँ.....
बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में. दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़................
Saturday, 10 August 2013
हाँ मैं बेरोजगार हूँ ....
हाँ मैं बेरोजगार हूँ , एक रोज़गार ढूंढ़ता हूँ. रोज़गार ढूँढना हीं मेरा रोज़गार बन गया है. मेरे पास अच्छी-अच्छी डिग्री है, बड़ी संभाल के रखता हूँ डिग्री के इन कागजों को, इतना ख्याल अपना भी नहीं रखता. आखिर इसी से तो मेरी जिंदगी का आकलन कुर्सी पर बैठे कुछ लोग करेंगे कि मैंने किया क्या है अब तक...पहले जो बड़ा होनहार लड़का कहा करते थे वो अब मुझे धरती का बोझ समझते हैं...बड़ी चिढ होती है अब होनहार शब्द से .. बड़ी उम्मीद के साथ जाता हूँ हर एक इंटरव्यू में पर बात नहीं बनती... बड़ी घबराहट होती थी शुरुआत में जब इंटरव्यू देने जाता था...अब बड़े आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू देने जाता हूँ जैसे की मुझे पता है कि क्या होने वाला है .. ये इंटरव्यू लेने वाले भी न अजीब होते हैं, कहते हैं आपके पास फील्ड एक्सपीरियंस नहीं है. अब इनकों यही समझ में नहीं आता कि आप मौका हीं नहीं दोगे तो एक्सपीरियंस कहाँ से आएगा.... इंटरव्यू के लिए मेरे जैसे कई होनहार लोग आते हैं, उनसे बात होती है तो पूछने लगते हैं कि आपकी कोई सिफारिश है ??...सुना है सिफारिशें बहुत चलती है आजकल ...आजकल सिफारिश वालों की जुगाड़ में हूँ पर कोई मिलता ही नहीं,,, काश मेरे परिवार में भी कोई नेता होता, नेताओं की सिफारिश बड़ी कारगर होती है...नेताओं को देखकर सोचता हूँ, ये नेता भी तो बेरोजगार हीं होते हैं जबरदस्ती दूसरों की सेवा करना अपना रोज़गार बना लेते हैं..इसके लिए किसी डिग्री की भी ज़रूरत नहीं होती, फालतू का टाइम बेस्ट किया पढाई में, अगर इतनी मेहनत इस फील्ड में की होती तो आज लोगों की सिफारिश मैं करता...पर मैं तो बेरोजगार हूँ मेरी कोई नहीं सुनता ...मेरी आँखें झुक जाती है जब कोई पूछता है क्या करते हो...बस धीरे से कहकर चल देता हूँ कि रोज़गार ढूंढ़ता हूँ.....
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